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Kaalidhar Laapata मूवी रिव्यू: अभिषेक बच्चन की शानदार अदाकारी, लेकिन कहानी में रह गई कमी

Kaalidhar Laapata

Kaalidhar Laapata

Kaalidhar Laapata एक ऐसी फिल्म है जो दिल को छूती है, लेकिन अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में कुछ कमी रह जाती है। आपको बता दें कि यह फिल्म, जो 4 जुलाई 2025 को ZEE5 पर रिलीज हुई, मधुमिता द्वारा निर्देशित है और यह उनकी 2019 की तमिल फिल्म K.D. (करुप्पु दुरई) का हिंदी रीमेक है। फिल्म में अभिषेक बच्चन मुख्य भूमिका में हैं, जिन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। लेकिन असमान कहानी और कुछ कमजोर लेखन के कारण यह फिल्म पूर्ण रूप से प्रभावशाली नहीं बन पाई।

Kaalidhar Laapata की कहानी

Kaalidhar Laapata फिल्म की कहानी कालीधर (केडी) नाम के एक मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे अभिषेक बच्चन ने निभाया है। इस कहानी में केडी ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल में बिता दिया है। लेकिन जब उसे अपनी मेमोरी लॉस की बीमारी का पता चलता है, तो उसके भाई-बहन उसे बोझ समझने लगते हैं। वे उसे कुंभ मेले में छोड़ने की योजना बनाने लगते हैं, ताकि वे उससे छुटकारा पा सकें। अपनी इस साजिश को सुनकर, केडी खुद ही घर छोड़कर चला जाता है।

इसी बीच, उसकी मुलाकात बल्लू (दैविक बघेला) नाम के एक जीवंत और आत्मनिर्भर 8 साल के अनाथ बच्चे से होती है। बल्लू, जो सड़कों पर अकेले जीवन जीता है, केडी को खुशी और आत्म-खोज की नई राह दिखाता है। दोनों के बीच एक अनोखा और हृदयस्पर्शी रिश्ता बनता है, जो फिल्म का भावनात्मक आधार बनता है। आपको बता दें कि दूसरी ओर केडी के परिवार को उसकी जरूरत पड़ती है जब उनकी संपत्ति के कागजात आग में नष्ट हो जाते हैं, जिन पर केडी के अंगूठे का निशान था। अब वे उसे ढूंढने की कोशिश करते हैं।

फिल्म की कहानी सरल, स्पष्ट और पारिवारिक दर्शकों के लिए उपयुक्त है। यह उन लोगों को आकर्षित करती है जो ओटीटी पर हल्की-फुल्की, भावनात्मक और पारिवारिक कहानियां पसंद करते हैं।

अभिषेक बच्चन का प्रदर्शन रहा फिल्म का मजबूत आधार

अभिषेक बच्चन ने कालीधर के किरदार में शानदार अभिनय किया है। वह केडी की शुरुआती भ्रम और असहायता को बखूबी दर्शाते हैं। उनका किरदार एक ऐसे व्यक्ति का है जो अपने परिवार के लिए सब कुछ करता है, लेकिन बदले में उसे विश्वासघात मिलता है। अभिषेक ने इस किरदार को भावनात्मक गहराई को सूक्ष्मता से उभारा है। उनकी संयमित और प्रभावशाली अदाकारी फिल्म का सबसे मजबूत पहलू है।

दैविक बघेला: एक छोटा सितारा

फिल्म में बल्लू की भूमिका निभाने वाले दैविक बघेला ने अपनी मासूमियत और स्वाभाविक अभिनय से सभी का दिल जीत लिया है। उनकी जीवंतता और चुलबुलेपन ने बल्लू के किरदार को जीवंत कर दिया है। केडी और बल्लू के बीच का रिश्ता फिल्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा है, जो दर्शकों को भावुक करता है। हालांकि, कुछ दृश्यों में यह रिश्ता उतना गहरा नहीं लगता जितना हो सकता था, जिसका कारण कमजोर लेखन है।

सपोर्टिंग कास्ट

मोहम्मद जीशान अय्यूब ने एक सरकारी कर्मचारी की भूमिका में अपनी ईमानदारी से प्रभावित किया है, हालांकि उनका किरदार ज्यादा गहराई नहीं पाता। निमरत कौर ने केडी की पुरानी प्रेमिका मीरा की छोटी सी भूमिका निभाई है, लेकिन यह किरदार कहानी में ज्यादा योगदान नहीं देता। विश्वनाथ चटर्जी, मधुलिका जटोलिया, प्रियांक तिवारी और प्रिया यादव ने अपने किरदारों को ठीक-ठाक निभाया है।

अमित त्रिवेदी का संगीत फिल्म के मूड के साथ अच्छी तरह मेल खाता है। खासकर ‘हसीन परेशानियां’ और ‘दिल बंजारा’ जैसे गाने कहानी को और आकर्षक बनाते हैं। तजदार जुनैद का बैकग्राउंड स्कोर साधारण लेकिन प्रभावी है। हालांकि, शीतल इकबाल शर्मा के कॉस्ट्यूम और कुछ दृश्यों में गैरिक सरकार का एडिटिंग थोड़ा कमजोर लगता है। अश्विनी श्रीवास्तव का प्रोडक्शन डिजाइन वास्तविकता के करीब है और मध्य प्रदेश की पृष्ठभूमि को जीवंत करता है।

कहानी की कमियां

फिल्म का सबसे बड़ा दोष इसका असमान लेखन और गति है। शुरुआती हिस्सा वंवास (2024) जैसी फिल्मों की याद दिलाता है, जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति को धार्मिक स्थान पर छोड़ दिया जाता है। केडी की स्मृति हानि को ठीक से नहीं दिखाया गया, जिसके कारण दर्शकों को भ्रम हो सकता है। इसके अलावा, केडी और बल्लू के बीच कुछ दृश्यों में वह भावनात्मक गहराई नहीं मिली, जो इस कहानी को और प्रभावशाली बना सकती थी। निमरत कौर का रोमांटिक ट्रैक कहानी में अनावश्यक लगता है और इसे हटाया जा सकता था।

फिल्म का निर्देशन मध्यम स्तर का है। मधुमिता ने तमिल मूल कहानी को हिंदी दर्शकों के लिए अनुकूलित करने की कोशिश की है, लेकिन कुछ दृश्यों में कहानी बिखरी हुई लगती है। मध्य प्रदेश की पृष्ठभूमि और कुंभ मेले का चित्रण वास्तविकता प्रदान करता है, लेकिन कहानी में निरंतरता की कमी इसे पूर्ण रूप से यादगार बनने से रोकती है।

निष्कर्ष

उपरोक्त जानकारी के आधार पर आपको बता दें कि Kaalidhar Laapata एक ऐसी फिल्म है जिसका दिल सही जगह पर है। अभिषेक बच्चन और दैविक बघेला की जोड़ी इसकी सबसे बड़ी ताकत है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से बांधे रखती है। हालांकि, असमान लेखन, कुछ अनावश्यक दृश्य और गति में कमी के कारण यह फिल्म अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाई। फिर भी, यह एक हल्का-फुल्का और हृदयस्पर्शी ड्रामा है, जो परिवार के साथ देखने के लिए उपयुक्त है।

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  • Hello, मेरा नाम Karamjit Kaur है। मुझे मनोरंजन के क्षेत्र में काफी रुचि है। मैं smartnews24.in में एक लेखक हूँ। यहाँ मैं मनोरंजन से जुड़ी हर खबर को आपके लिए आसान भाषा में पब्लिश करती हूँ।

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